Congress: बगैर गठबंधन के चुनाव लड़ने की राह पर कांग्रेस
Congress: बगैर गठबंधन के चुनाव लड़ने की राह पर कांग्रेस
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा से मिलने वाले जनाधार से पार्टी के अंदर तमाम तरह की नई योजनाओं को बनाने का खाका तैयार किया जाएगा। इसमें नए राजनैतिक गठबंधन वाले समीकरण समेत आगे की चुनावी तैयारियों को नए आयाम भी दिए जाएंगे।

कांग्रेस की बुधवार को शुरू हुई पदयात्रा से पार्टी ने बड़ी-बड़ी योजनाएं बनानी शुरू कर दी हैं। इसके तहत विधानसभा के चुनावों से लेकर लोकसभा के चुनावों का पूरा ग्राफ खींचना शुरू कर दिया है। चर्चाएं तो इस बात की भी हो रहीं हैं कि पार्टी इस यात्रा के दौरान मिलने वाले जनसमर्थन के बाद लोकसभा के चुनावों में किसी नए गठबंधन की ओर नहीं बढ़ेगी। यानी कि पार्टी अपने दम पर पुराने संगठक दलों के साथ ही मैदान में उतरेगी। यह एक तरह से अभी से देश के कई नेताओं की ओर से तैयार की जा रही राजनैतिक जमीन के लिए झटका भी माना जा रहा है। 

 

कांग्रेस की बुधवार से शुरू हुई भारत जोड़ो यात्रा को लेकर पार्टी ने सिर्फ यात्रा ही नहीं बल्कि आने वाले चुनावों की एक तरह से अपने जनाधार की पैमाइश शुरू कर दी है। राजनैतिक विश्लेषक आनंद कुमार कहते है कि कांग्रेस बहुत दिनों बाद इतने बड़े स्तर पर सड़क पर उतर कर सैकड़ों किलोमीटर का सफर करने जा रही हैं। ऐसे में इस यात्रा से मिलने वाले जनाधार से पार्टी के अंदर तमाम तरह की नई योजनाओं को बनाने का खाका तैयार किया जाएगा। इसमें नए राजनैतिक गठबंधन वाले समीकरण समेत आगे की चुनावी तैयारियों को नए आयाम भी दिए जाएंगे। कांग्रेस से जुड़े नेता भी बताते हैं कि इस यात्रा के दौरान और बाद में पार्टी जनाधार के आधार पर बड़े फैसले ले सकेगी।

 

पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि पार्टी को जिस तरह से यात्रा शुरू करने से पहले ही इतना समर्थन मिल रहा है वह बड़े बदलाव का इशारा कर रही हैं। अब इस बदलाव का असर किस तरह से होगा इसका पार्टी आलाकमान अपने स्तर पर एनलालिसिस करके आगे बढ़ेगी। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का सबसे ज्यादा असर चुनावी गठबंधन पर पड़ेगा। इसकी वजह बताते हुए वरिष्ठ राजनैतिक जानकर एचएन सागर कहते हैं कि अगर पार्टी साढ़े तीन हजार किलोमीटर की पद यात्रा कर रही है तो वो इसलिए नहीं कर रही कि अपने तैयार किये जाने वाले जनाधार और राजनैतिक भरोसे को गठबंधन के हवाले कर दे। वह कहते हैं कि यह बात बिल्कुल स्पष्ट है कि आने वाले चुनावों में सबसे पहले कांग्रेस ही जमीन पर उतरी है। इसलिए किसी भी बड़े गठबंधन की तैयार होने वाली जमीन पर कांग्रेस के नेता को प्रधानमंत्री के चेहरे के तौर पर नकारा नहीं जा सकता। और यही गठबंधन में सबसे बड़ी समस्या का कारण भी बन रहा है।

 

राजनैतिक गलियारों में चर्चाएं है कि आने वाले लोकसभा के चुनावों में कांग्रेस अकेले अपने दम पर ही चुनाव लड़ेगी। नीतीश कुमार और नेताओं के साथ चल रही गठबंधन की जमीन सभी दलों को एक साथ लेकर बनने में मुश्किल नजर आ रही है। ऐसे में कयास यही लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस अपने पुराने घटक दलों के साथ मिलकर ही 2024 के लोकसभा के चुनावों में आने की पूरी तैयारी कर रही है। राजनैतिक जानकारों का मानना है कि नीतीश कुमार के प्रयास अपने स्तर पर होते रहेंगे लेकिन कांग्रेस को भारत जोड़ों यात्रा से मिलने वाली पॉलिटिकल बूस्टर डोज अलग तरह से काम करेगी। जिससे नए राजनैतिक समीकरण बनेंगे। 

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