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मालेगांव विस्फोट मामले में विशेष अदालत ने सुनवाई के दौरान गवाही के लिए पेश नहीं होने पर एटीएस अधिकारी के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। सोमवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते के एक अधिकारी के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया।
एक वकील ने इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एटीएस अधिकारी मालेगांव विस्फोट मामले में गवाह था। जिसे विशेष एनआईए न्यायाधीश एके लाहोटी के समक्ष अपनी गवाही दर्ज करने के लिए बुलाया गया था, लेकिन वह गवाही के लिए अदालत के समक्ष पेश नहीं हुए। वकील ने यह भी बताया कि यह दूसरी बार था जब जब एटीएस अधिकारी अदालत की तारीख पर गवाही के लिए नहीं पहुंचा। यह देखते हुए विशेष अदालत ने एटीएस अधिकारी के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया।
हालांकि वकील ने एटीएस अधिकारी का पक्ष रखते हुए बताया कि एटीएस अधिकारी का घर जिस इलाके में है वहां कानून व्यवस्था की स्थिति है। इसी कारण वह गवाही के लिए अदालत में पेश नहीं हो सके।
गौरतलब है कि मुंबई से करीब 100 किलोमीटर दूर उत्तरी महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में 29 सितंबर, 2008 को एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल में बंधे विस्फोटक उपकरण में विस्फोट होने से छह लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे। इस मामले में अब तक 300 से अधिक गवाहों से पूछताछ की जा चुकी है, हालांकि इनमें से 34 ने पाला बदल लिया है।
इस मामले के आरोपियों में भाजपा लोकसभा सदस्य प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, शुदाकर द्विवेदी, मेजर रमेश उपाध्याय (सेवानिवृत्त), अजय रहीरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी शामिल हैं। ये सभी जमानत पर बाहर हैं।
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