मनोज बाजपेयी ने बॉलीवुड के बॉक्स ऑफिस फार्मूले पर कसा तंज
मनोज बाजपेयी ने बॉलीवुड के बॉक्स ऑफिस फार्मूले पर कसा तंज
मनोज ने फिल्मों के बॉक्स ऑफिस फार्मूले पर चुप्पी तोड़ी है, साथ ही बॉलीवुड इंडस्ट्री पर निशाना साधते नजर आए हैं।

बॉलीवुड के मल्टी टैलेंटेड एक्टर मनोज बाजपेयी अपनी लेटेस्ट ओटीटी रिलीज फिल्म 'सिर्फ एक बंदा काफी है' को लेकर चर्चाओं में बने हुए हैं। फिल्म के प्रमोशन के लिए एक्टर लगातार इंटरव्यू दे रहे हैं। हाल ही में मनोज को शाहरुख खान की तारीफ करते, तो सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर अपनी राय रखते देखा गया। वहीं, अब मनोज ने फिल्मों के बॉक्स ऑफिस फार्मूले पर चुप्पी तोड़ी है, साथ ही बॉलीवुड इंडस्ट्री पर निशाना साधते नजर आए हैं। 

मनोज बाजपेयी की फिल्म 'सिर्फ एक बंदा काफी है' ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर स्ट्रीम हो रही है। इस फिल्म में मनोज, वकील पीसी सोलंकी का किरदार निभा रहे हैं, जो एक बलात्कार पीड़ित लड़की का केस लड़ता है। वहीं, इस फिल्म को लेकर विवाद है कि यह स्वयंभू संत आसाराम बापू की कहानी है, क्योंकि उनके खिलाफ केस लड़ने वाले वकील का नाम भी पीसी सोलंकी ही था। मूवी रिलीज के बाद इसे फैंस की मिली-जुली प्रतिक्रिया मिल रही है। 

 

वहीं, अब मनोज बाजपेयी ने फिल्म 'सिर्फ एक बंदा काफी है' को लेकर बातचीत करते हुए बॉलीवुड इंडस्ट्री पर निशाना साध दिया है। एक्टर ने इंडस्ट्री के फिल्म निर्माण फॉर्मूले की आलोचना करते हुए कहा, 'जब हम कोई फॉर्मूला खोजने की कोशिश करते हैं, तो हम गलत हो जाते हैं। यही वह जगह है जहां सामान्यता सेट होती है। हम फिल्म ने कितने करोड़ कमाए हैं पर ध्यान केंद्रित करने के कारण सूत्रों के बारे में सोचते हैं। यह सब प्रोड्यूसर की जेब में गया है। आपको केवल यह सोचना चाहिए कि आपको फिल्म पसंद आई या नहीं। अच्छा लगे तो सोशल मीडिया पर लिखें। जब बहुत सारे लोग कहेंगे कि फिल्म अच्छी है, तो इसे सफल माना जाएगा। अब, अगर मैं एक बहुत खराब फिल्म बनाता हूं और वह मेरे निर्माता को 200 करोड़ रुपये कमाती है, तो मैं इसे अपने लिए सफल नहीं कहूंगा।'

मनोज बाजपेयी ने अपनी बात को जारी रखते हुए आगे कहा, 'बड़ी से बड़ी फिल्में धराशायी हो रही हैं और छोटी फिल्में वह रुचि पैदा नहीं कर पा रही हैं, जो लोग आकर देखते हैं। मैं हाल ही में दो फिल्मों का हिस्सा रहा हूं - गुलमोहर और बंदा। दोनों के लिए, दर्शकों की प्रतिक्रिया बहुत अच्छी थी और लोगों ने कहा कि इसे सिनेमाघरों में रिलीज होना चाहिए था। उसके हिसाब से देखें तो दोनों ही फिल्में सफल हैं। लेकिन हम इसे थिएटर्स में इसलिए नहीं ला रहे हैं क्योंकि भगवान न करे, अगर इसे अच्छी ओपनिंग नहीं मिली तो लोग कहेंगे कि ये फ्लॉप हो गई है। वे काम की गुणवत्ता के बारे में बात नहीं करते हैं।'

मनोज बाजपेयी ने अपने इंटरव्यू में यह बात भी साफ की कि आज के समय में सोशल मीडिया भी किसी फिल्म को हिट या फ्लॉप बनाने में अहम भूमिका निभाता है। अपनी खुद की फिल्म का उदाहरण देते हुए और यह बताते हुए कि कैसे 'सत्या' की ओपनिंग खराब रही लेकिन मौखिक रूप से सफलता तक पहुंचे, मनोज ने कहा, 'इसे एक नाटकीय रिलीज मिली होगी लेकिन अब मौखिक रूप से बोलने का युग मौजूद नहीं है। हम पहले इतने क्रूर नहीं थे। अब सोशल मीडिया से लोग इसका कोई हीरो नहीं है, ये दाढ़ी वाला कौन है लिखना शुरू कर देते हैं। बिना देखे, वे नकारात्मक लिखेंगे।'

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