SC: शिंदे गुट को शीर्ष अदालत से राहत, चुनाव आयोग के फैसले पर स्टे लगाने से इनकार
SC: शिंदे गुट को शीर्ष अदालत से राहत, चुनाव आयोग के फैसले पर स्टे लगाने से इनकार
सुनवाई के दौरान नोटिस जारी करते हुए सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इस दौरान पीठ ने कहा कि 'चुनाव आयोग का आदेश चुनाव चिन्ह तक ही सीमित है।

एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता देने के चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे गुट की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई। शीर्ष अदालत ने आयोग के फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे खेमे की याचिका पर  सुनवाई करने का निर्णय लेते हुए एकनाथ खेमे और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने उद्धव ठाकरे गुट की याचिका पर सुनवाई करते हुए ठाकरे गुट को चिंचवाड़ और कस्बा पेठ उपचुनाव के लिए 'शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)' नाम और 'जलता मशाल' चुनाव चिन्ह का उपयोग करने की स्वतंत्रता दी।

 

सुनवाई के दौरान नोटिस जारी करते हुए सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इस दौरान पीठ ने कहा कि  'चुनाव आयोग का आदेश चुनाव चिन्ह तक ही सीमित है। हम चुनाव आयोग के आदेश पर फिलहाल रोक लगाने का आदेश पारित नहीं कर सकते। हम उद्धव खेमे द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका(एसएलपी) पर विचार कर रहे हैं। हमें दोनों पक्षों की दलीलों को सुनना होगा। बिना दलील सुने रोक नहीं लगाई जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उद्धव ठाकरे गुट कानून के अन्य उपायों का पालन कर सकता है यदि कोई कार्रवाई की जाती है जो चुनाव आयोग के आदेश पर आधारित नहीं है।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी पर एकनाथ शिंदे खेमे और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर कर एक हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। साथ ही उसके एक हफ्ते के भीतर उद्धव खेमे को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है। अब दो सप्ताह के बाद इस मामले में सूचीबद्ध किया है।

 

पीठ ने शिदे गुट की ओर से पेश वकीलों द्वारा दिए गए बयान को रिकॉर्ड पर लिया कि विधानसभा स्पीकर द्वारा फिलहाल अयोग्यता याचिका पर करवाई नहीं की जाएगी। इससे पहले सुनवाई के दौरान उद्धव ठाकरे गुट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत के लिए आग्रह किया और यथास्थिति आदेश पारित करने का आग्रह किया।

वहीं, मंगलवार को सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष उद्धव गुट की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने याचिका पर तत्काल सुनवाई का आग्रह किया था। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था।  

 

'सुप्रीम कोर्ट हमारी आखिरी उम्मीद'

इससे पहले इस विवाद को लेकर उद्धव ठाकरे ने आरोप लगाया था कि चुनाव आयोग ने उनके साथ न्याय नहीं किया। उन्होंने कहा था कि उनसे उनका सबकुछ चुरा लिया गया। पार्टी का नाम, पार्टी का चुनाव चिन्ह सब चुरा लिया गया। ठाकरे ने कहा था कि वह लोग ठाकरे नाम नहीं चुरा सकते। हम चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और मामले की सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ही हमारी आखिरी उम्मीद है।

 

शिंदे गुट पहले ही पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे के हाथ से शिवसेना की कमान, उसका नाम और चुनाव चिह्न छीनने के बाद एकनाथ शिंदे भी शांत नहीं बैठे हैं। शिवसेना को लेकर चुनाव आयोग के फैसले को कायम रखने के लिए वह हर एक चाल चल रहे हैं, जो उनके लिए जरूरी है। एक दिन पहले ही शिंदे गुट की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कैविएट याचिका दायर की गई थी। 

इस याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने के लिए उद्धव गुट सुप्रीम कोर्ट के समक्ष गुहार लगा सकता है। ऐसे में इस मामले में कोई भी फैसला सुनाने से पहले शीर्ष अदालत महाराष्ट्र सरकार की दलील को भी सुने। 

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