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पत्रकार राणा अय्यूब को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने गाजियाबाद की विशेष अदालत द्वारा राणा अय्यूब को जारी समन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने राणा अय्यूब की याचिका भी खारिज कर दी है। अब रााणा अय्यूब को विशेष अदालत के सामने पेश होना होगा। गाजियाबाद की विशेष अदालत ने पत्रकार को समन भेजकर 27 जनवरी को पेश होने को कहा था। इसके खिलाफ राणा अय्यूब ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट ने पहले समन पर स्टे दे दिया था, लेकिन अब याचिका खारिज कर दी है।
क्या है राणा अय्यूब पर आरोप?
राणा अय्यूब ने कथित रूप से एक ऑनलाइन क्राउड-फंडिंग प्लेटफॉर्म, 'केटो' के जरिए अभियान चलाकर चैरिटी के नाम पर आम जनता से अवैध रूप से धन इकट्ठा किया। ईडी के मुताबिक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर जुटाई गई धनराशि राणा अय्यूब के पिता और बहन के खाते में ट्रांसफर की गई थी। अय्यूब ने अपने लिए 50 लाख रुपये की एफडी भी बनवाई थी। जबकि चैरिटी के लिए लगभग 29 लाख रुपये का इस्तेमाल किया था।
हल्द्वानी मामले में सुनवाई टली
हल्द्वानी में रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई नहीं हो पाई। राज्य और केंद्र सरकार ने इस मामले में कोर्ट से आठ हफ्ते का समय मांगा था जो उन्हें दिया गया है। अब अगली सुनवाई दो मई 2023 को होगी। ये जानकारी याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने दी।
सुप्रीम कोर्ट के पैनल ने टाइगर सफारी को लेकर केंद्र सरकार को दिए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाए गए पैनल ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को जू और सफारी को लेकर बनाई गई गाइडलाइन में संशोधन या वापस लेने के निर्देश दिए हैं। पिछले महीने शीर्ष अदालत को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) ने यह भी कहा कि बाघ अभयारण्यों और संरक्षित क्षेत्रों के भीतर चिड़ियाघरों और सफारी की स्थापना के लिए दी गई मंजूरी को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। इसमें कहा गया है कि अनुमति केवल एक ही परिदृश्य से घायल या अक्षम जानवरों के बचाव और पुनर्वास से जुड़ी गतिविधियों के लिए दी जा सकती है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट के पैनल ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से वन्यजीवों के आवास में टाइगर सफारी, चिड़ियाघरों की अनुमति देने वाले दिशानिर्देशों को वापस लेने का निर्देश दिया है।
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