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श्रीलंका में एक बार फिर राजनीतिक टकराव बढ़ रहा है। सरकार विरोधी आंदोलनकारियों के खिलाफ रानिल विक्रमसिंघे सरकार की सख्ती से देश के कई हलकों में फिर से गुस्सा भड़क उठा है। वरिष्ठ ट्रेड यूनियन नेता जोसेफ स्टालिन और अन्य सरकार विरोधियों की गिरफ्तारी के विरोध में गुरुवार को ट्रेड यूनियनों ने देशभर में विरोध प्रदर्शन किया। आंदोलनकारियों ने एलान किया है कि गिरफ्तार लोगों की रिहाई और राष्ट्रपति विक्रमसिंघे के इस्तीफे तक उनके विरोध का नया दौर जारी रहेगा।
इस बीच सरकार की सख्ती जारी है। संसद में विपक्ष के मुख्य नेता हर्षा डि सिल्वा को गुरुवार को यहां मुख्य विरोध स्थल- गोटा गो गामा- पर जाने से रोक दिया गया। डि सिल्वा उन कार्यकर्ताओं से मिलना चाहते थे, पुलिस जिन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है। डि सिल्वा ने बाद में एक ट्विट में कहा- ‘यह लगातार पांचवा दिन है, जब मुझे गो गोटा गामा पर जाने से रोका गया है। यह सांसद के रूप में मेरे अधिकारों का उल्लंघन है।’
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक स्टालिन की गिरफ्तारी से देश भर के श्रमिक वर्ग में गुस्सा भड़क उठा है। ट्रेड यूनियनों ने इसे और अन्य कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी गैर कानूनी कदम बताया है। यूनियनों ने कहा है कि विक्रमसिंघे सरकार के दमन के खिलाफ वे अपना आंदोलन तेज करेंगे।
कोलंबो पुलिस ने गोटा गो गामा स्थल पर जमे प्रदर्शनकारियों से पांच अगस्त तक वह जगह खाली कर देने को कहा है। इसके लिए उन्हें नोटिस दिया गया है। इस खबर से भी सरकार विरोधी समूहों की नाराजगी भड़की है। पर्यवेक्षकों के मुताबिक इससे पिछले साढ़े तीन महीने से भी ज्यादा समय से चल रहा आंदोलन एक फिर रफ्तार पकड़ सकता है।
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि सरकार ने देश भर में दमनकारी अभियान छेड़ दिया है। इसकी शुरुआत 28 जुलाई को हुई, जब अरागलया (सरकार विरोधी आंदोलन को श्रीलंका में इसी नाम से जाना जाता है) के एक प्रमुख युवा नेता डॉ. केरनर को गिरफ्तार कर लिया गया। केरनर पर 13 जुलाई को संसद के सामने हुए जन प्रदर्शन में हुई हिंसा के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है। उस रोज अरगलया नेताओं के आह्वान पर संसद भवन के बाहर भारी भीड़ इकट्टी हुई थी। उस दौरान सुरक्षा बलों और आंदोलनकारियों में झड़पें हुईं, जिनमें कई लोग जख्मी हो गए थे। गिरफ्तार के पहले केरनर के कहीं आने-जाने पर रोक लगा दी गई थी।
हर्षा डि सिल्वा के मुताबिक वे केरनर का पत्र मिलने के बाद से गोटा गो गामा जाने की कोशिश कर रहे हैं। इस पत्र में केरनर ने 13 जुलाई की घटनाओं की स्वतंत्र जांच कराने की मांग की है। केरनर ने यह पत्र विक्रमसिंघे को भी भेजा था। डि सिल्वा ने कहा- राष्ट्रपति बनने के बाद विक्रमसिंघे ने स्वतंत्र जांच की मांग से सहमति जताई थी। उन्होंने कहा- ‘सरकार को अहिंसक प्रदर्शनकारियों की मनमानी गिरफ्तारी पर तुरंत रोक लगानी चाहिए।’ डि सिल्वा ने आरोप लगाया कि जिन लोगों ने प्रदर्शनकारियों पर हमले किए थे, वे बेखौफ खुला घूम रहे हैं।
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