नहीं लगेगी 'ट्रायल बाय फायर' पर रोक, दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की सुशील अंसल की मांग
नहीं लगेगी 'ट्रायल बाय फायर' पर रोक, दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की सुशील अंसल की मांग
यह वेब सीरीज 'ट्रायल बाय फायर: द ट्रेजिक टेल ऑफ द उपहार फायर ट्रेजडी' किताब पर आधारित है। इस किताब को शेखर कृष्णमूर्ति और नीलम कृष्णमूर्ति ने लिखा है।

दिल्ली के उपहार सिनेमा अग्निकांड पर बनी नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज 'ट्रायल बाय फायर' पर रोक नहीं लगेगी। दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को रियल एस्टेट कारोबारी सुशील अंसल की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने इस सीरीज की रिलीज पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की थी। बता दें कि यह सीरीज आज नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गई है। इस सीरीज में अभय देओल और राजश्री देशपांडे लीड रोल में नजर आ रहे हैं।

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने अपने फैसले में सुशील अंसल को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है। यह वेब सीरीज 'ट्रायल बाय फायर: द ट्रेजिक टेल ऑफ द उपहार फायर ट्रेजडी' किताब पर आधारित है। इस किताब को शेखर कृष्णमूर्ति और नीलम कृष्णमूर्ति ने लिखा है। इन्होंने इस त्रासदी में अपने दो बच्चों को खो दिया था। अब इस किताब पर वेब सीरीज बनी है। सुशील अंसल ने इस वेब सीरीज के खिलाफ स्थायी और अनिवार्य निषेधाज्ञा और आगे के प्रकाशन और प्रसार पर रोक लगाने के लिए एक मुकदमा दायर किया था।

 

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने कहा कि उपहार अग्निकांड एक ऐसी त्रासदी है जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस घटना को लेकर मीडिया में हमेशा से कवरेज होती रही है। सभी तथ्य सार्वजनिक हैं। नेटफ्लिक्स की इस सीरीज पर रोक लगाने का कोई आधार नहीं है।

बता दें कि उपहार सिनेमा में वर्ष 13 जून 1997 को बॉर्डर फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान भीषण आग लग गई थी। इस हादसे में 59 लोगों की जान चली गई थी। साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकार मामले का फैसला किया और अब 83 वर्षीय सुशील अंसल और उनके भाई गोपाल अंसल  को 30-30 करोड़ रुपये का जुर्माना भरने का निर्देश दिया। हाई कोर्ट ने तब सुशील अंसल के जेल में बिताए समय पर विचार करते हुए रिहा कर दिया था। अंसल ब्रदर्स और दो अन्य को बाद में उपहार सिनेमा फायर ट्रायल से संबंधित सबूतों के साथ छेड़छाड़ का दोषी ठहराया गया था।

 

आज नेटफ्लिक्स ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर एक पोस्ट साझा कर सीरीज के रिलीज होने की जानकारी फैंस से साझा की है। सीरीज का पोस्टर शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, '1997 में दिल्ली के उपहार सिनेमा हादसे ने इस परिवार की कहानी सिर्फ एक दोपहर में बदल दी। बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी। क्या न्याय हुआ?'

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