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फिल्म 'द केरल स्टोरी' पर विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। आज पांच मई को यह फिल्म देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज हुई है। रिलीज के बाद भी इसकी स्क्रीनिंग को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल, केरल में विभिन्न युवा संगठनों ने 'द केरल स्टोरी' की स्क्रीनिंग के खिलाफ आज शुक्रवार को प्रदर्शन किया। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की युवा शाखा, नेशनलिस्ट यूथ कांग्रेस (एनवाईसी) के कार्यकर्ताओं और फ्रेटरनिटी मूवमेंट ने कोच्चि में एक स्थानीय थिएटर के सामने विरोध प्रदर्शन किया।
एनवाईसी के प्रदर्शनकारियों ने थिएटर के सामने अपने हाथों में तख्तियां लिए नारे लगाए और फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। हालांकि, बाद में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को थिएटर परिसर से हटा दिया। महिलाओं सहित युवा संगठनों के कार्यकर्ताओं के एक समूह ने कोच्चि में थिएटर तक पैदल मार्च किया और आरोप लगाया कि फिल्म झूठ पर आधारित है और संघ परिवार के विभाजनकारी एजेंडे का हिस्सा है।
प्रदर्शनकारियों ने थिएटर के पास सड़क पर लगे बैरिकेड्स को पार करने और तोड़ने की कोशिश की, लेकिन पुलिस कर्मियों ने उन्हें रोक दिया। बाद में उन्होंने सड़क पर धरना प्रदर्शन किया। फिर, फिल्म और इसके निर्माताओं के खिलाफ नारेबाजी की। इस दौरान मुस्लिम संगठन के एक नेता ने कहा, 'केरल एक ऐसा राज्य है, जहां धर्म और समुदायों से ऊपर उठकर लोग एकजुट होकर रह रहे हैं। ऐसी फिल्मों का मकसद राज्य को सांप्रदायिक आधार पर बांटना और केरल को उत्तर भारत जैसा बनाना है।' संगठन ने इसी तरह का विरोध मार्च कोझिकोड में भी निकाला।
बता दें कि अदा शर्मा अभिनीत और सुदीप्तो सेन द्वारा लिखित और निर्देशित फिल्म 'द केरल स्टोरी' पर ट्रेलर रिलीज होने के बाद से ही विवाद खड़ा हो गया। फिल्म की कहानी केरल की 32,000 हिंदू और ईसाई लड़कियों की है, जिन्हें कथित तौर पर लव जिहाद में फंसाया गया। वहीं, केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन और तिरुवनंतपुरम के एमपी शशि थरूर ने फिल्म पर राज्य का नाम खराब करने का आरोप लगाया था और अदालत से इस पर बैन लगाने की मांग की थी, लेकिन केरल उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया कि फिल्म के ट्रेलर में किसी विशेष समुदाय के लिए कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है।
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