जस्टिस बालकृष्णन की अध्यक्षता में समिति गठित, धर्मांतरण करने वालों को अजा दर्जे पर विचार
जस्टिस बालकृष्णन की अध्यक्षता में समिति गठित, धर्मांतरण करने वालों को अजा दर्जे पर विचार
जम्मू कश्मीर व देश के अन्य राज्यों में बलात् धर्मांतरण के बाद इन लोगों का अजा दर्जा छीन गया था। अब सरकार इन्हें फिर मुख्य धारा में लाने पर विचार कर रही है। अनुसूचित जाति का दर्जा केवल हिंदू, सिख और बौद्ध धर्म के लोगों को ही दिया जा सकता है।

केंद्र सरकार ने आज बड़ा फैसला करते हुए पूर्व सीजेआई केजी बालकृष्णन की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है। यह समिति धर्मांतरण (conversion) कर चुके देशवासियों को अनुसूचित जाति (SC status) का दर्जा देने पर विचार कर सरकार को रिपोर्ट देगी। जम्मू-कश्मीर व देश के अन्य राज्यों में बलात् धर्मांतरण के बाद इन लोगों का अजा दर्जा छीन गया था। अब सरकार इन्हें फिर मुख्य धारा में लाने पर विचार कर रही है।

यह आयोग उन व्यक्तियों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने के मामले की जांच करेगा, जो ऐतिहासिक रूप से अनुसूचित जाति से संबंधित होने का दावा करते हैं, लेकिन उन्होंने धर्मांतरण कर लिया है। अनुसूचित जाति का दर्जा केवल हिंदू, सिख और बौद्ध धर्म के लोगों को ही दिया जा सकता है। आयोग के गठन की आज जारी अधिसूचना में कहा गया है कि कुछ समूहों ने अनुसूचित जाति की मौजूदा परिभाष पर फिर से विचार करने की मांग की है। वहीं, कई अन्य समूहों ने इसका विरोध किया है। 

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