CBI: फर्जी बिल बनाकर ONGC के तत्कालीन डीजीएम की मदद से 19 लाख की हेराफेरी
CBI: फर्जी बिल बनाकर ONGC के तत्कालीन डीजीएम की मदद से 19 लाख की हेराफेरी
ओएनसीजी ने आरोप लगाया है कि उक्त प्रोपराइटर ने झूठे और फर्जी बिलों का दावा किया, जिन्हें तत्कालीन डीजीएम की ओर से सत्यापित और प्रमाणित कर दिया गया।

केंद्रीय जांच ब्यूरो ने ओएनजीसी नई दिल्ली की शिकायत पर एक मामला दर्ज किया है जिसमें आरोप लगाया गया है कि तत्कालीन डीजीएम (एमएस) और असम के जोरहाट में तैनात एक संविदात्मक चिकित्सा अधिकारी (व्यावसायिक स्वास्थ्य) ने एक निजी कंपनी के मालिक और अज्ञात अन्य लोगों के साथ साजिश रचकर हेराफेरी की है। सीबीआई के अनुसार, "आरोप है कि उक्त लोगों ने ओएनजीसी स्वास्थ्य सुविधाओं के रिटायर्ड लाभार्थियों और उनके आश्रितों के नाम पर उनकी जानकारी के बिना फिजियोथेरेपी के लिए मांग पर्ची तैयार की। यहां तक कि उन उन लाभार्थियों के नाम पर भी मांग पर्ची तैयार की गई जिनकी मृत्यु हो चुकी थी।" 

 

सीबीआई के अनुसार ओएनसीजी ने यह भी आरोप लगाया है कि उक्त प्रोपराइटर ने झूठे और फर्जी बिलों का दावा किया, जिन्हें तत्कालीन डीजीएम की ओर से सत्यापित और प्रमाणित कर दिया गया। इसके परिणामस्वरूप उक्त निजी कंपनी को 19,15,080 रुपये (लगभग) का फर्जी भुगतान कर दिया गया। सीबीआई के अनुसार गुवाहाटी, जोरहाट और देहरादून सहित सात स्थानों पर आरोपियों के परिसरों की तलाशी ली गई, जिसमें कई आपत्तिजनक दस्तावेज/वस्तुएं बरामद की गईं हैं। सीबीआई के अनुसार डीजीएम के नाम पर छह संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज भी बरामद किए गए है। 

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अनुसार इस मामले में आरोपी डॉ. बिजॉय कुमार शॉ, तत्कालीन डीजीएम (एमएस); डॉ. ईशित्व तामुली, संविदात्मक चिकित्सा अधिकारी (व्यावसायिक स्वास्थ्य), ओएनजीसी, जोरहाट (असम); किरण फिजियोथेरेपी क्लिनिक, चिन्नामारा, जोरहाट (असम) के मालिक जदुमोनी हजारिका और अन्य अज्ञात को आरोपी बनाया गया है।

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