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ओटीटी प्लेटफॉर्म के आने से बॉलीवुड में युवाओं को ज्यादा अवसर मिलने लगे हैं। इन युवाओं ने अपने टैलेंट के दम पर सिनेमा की एक नई परिभाषा गढ़ने में मदद की है, जहां किसी फिल्म को सुपरहिट कराने के लिए फिल्म में किसी बड़े स्टार का होना जरूरी नहीं है, बल्कि एक मजबूत कहानी और आसपास के घटनाक्रम से दर्शकों को बांधकर रखने की क्षमता किसी फिल्म को हिट कराने के लिए काफी साबित हो रही है।
आने वाले समय की इस पदचाप को सुनते हुए 23 फिल्म मेकर्स ने एक मंच पर आकर इन युवाओं को ज्यादा बेहतर अवसर देने की योजना बनाई है। फिक्की फ्रेम्स 22 के मंच पर जिओ स्टूडियोज और महावीर जैन ने बताया है कि वे ‘न्यूकमर्स’ नाम से एक विशेष योजना की शुरुआत करेंगे जिसमें देश के दूरदराज क्षेत्रों से आने वाले युवाओं को अवसर दिया जायेगा।
इन निर्माताओं ने दिखाई रूचि
राजकुमार हिरानी, आशुतोष गोवारिकर, रोहित शेट्टी, कबीर खान, इम्तियाज अली, अनीश बज्मी जैसे दिग्गज फिल्म निर्माताओं ने इस प्रोजेक्ट में रूचि दिखाई है। इन निर्माताओं ने इस योजना के अंतर्गत नई प्रतिभाओं को उभारने में मदद के लिए अपना कदम आगे बढ़ाया है। इससे देश के अलग-अलग हिस्सों से आने वाले उन युवाओं को अपने सपने सच करने का अवसर मिल सकता है जो सही मार्ग निर्देशन की कमी के कारण हताश हो जाते हैं।
इस योजना की शुरुआत के अवसर पर महावीर जैन ने कहा कि उनके जैसे लोगों ने इस इंडस्ट्री से बहुत कुछ कमाया है। अब यह सही समय है जब वे फिल्म इंडस्ट्री को कुछ देना चाहते हैं और यह कार्य नई प्रतिभाओं को ज्यादा से ज्यादा अवसर देने से ही पूरा हो सकता है। इस योजना की कल्पना महावीर जैन ने फिक्की की फिल्म डिविजन की हेड ज्योति देशपांडे के साथ मिलकर बनाई थी।
नितेश तिवारी ने बताया कि अब उन्होंने किसी नई फिल्म के निर्माण के समय किसी बड़े स्टार के बारे में सोचना छोड़ दिया है। अब वे किसी नई कहानी की तलाश करते हैं और उस कहानी के अनुसार उचित पात्रों का चयन करते हैं, जिससे कहानी की असली खुशबू दर्शकों तक पहुंच सके। इससे उन्हें काम करने में ज्यादा आत्मविश्वास आया है।
युवाओं के पास हैं नए आईडिया
चित्र मंदिर फिल्म्स के डायरेक्टर और फिल्म निर्माता अशोक धींगरा ने अमर उजाला को बताया कि मुंबई या इस जैसे किसी बड़े मेट्रो शहरों में पले-बढ़े युवाओं के पास चीजों को देखने का एक सीमित तरीका होता है। वे इसी माहौल में रहते-रहते चीजों को एक ख़ास तरीके से देखने के आदी हो गए हैं, उनकी सोच भी इससे प्रभावित होती है। जबकि देश के कोने-कोने से आ रहे अलग-अलग परिवेश के नए युवाओं में उन्हीं चीजों को देखने की एक नई दृष्टि है।
यह नई सोच उसी प्लाट को एक नए तरीके से पेश कर रही है जो लोगों को पसंद आ रही है। यह बदलाव कहानी के विषय, डायलॉग डिलीवरी, भाषा, बोली, पहनावा और प्रस्तुतीकरण को अलग तरह से प्रस्तुत करने में मदद कर रही है। चूंकि, यह पारंपरिक सिनेमाई सोच से बिलकुल अलग है और दर्शकों के लिए बिलकुल नई है, ये चीजें लोगों को पसंद भी आ रही हैं।
अशोक धींगरा के मुताबिक, ओटीटी के युग में किसी एक प्रोजेक्ट से बड़ी कमाई करने की बजाय छोटे-छोटे प्रोजेक्ट से बेहतर कमाई से सिनेमा का अंदाज बदला है। अब काफी कम लागत में भी फ़िल्में बन रही हैं और दर्शक इन्हें पसंद भी कर रहे हैं। यदि इन युवाओं को थोड़ा प्रशिक्षण मिल जाए तो, ये नई प्रतिभाएं सिनेमा को एक नई ऊंचाई तक ले जाने में मदद कर सकती हैं। उनका मानना है कि जियो फिल्म्स, महावीर जैन और फिक्की का यह कदम युवाओं को मजबूत करने की दिशा में एक बेहतर प्रयास है और इसका बेहतर परिणाम निकलेगा।
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