सरकार ने रेलवे स्टेशनों के मौद्रीकरण के लिए पीपीपी मॉडल का प्रस्ताव वापस लिया
सरकार ने रेलवे स्टेशनों के मौद्रीकरण के लिए पीपीपी मॉडल का प्रस्ताव वापस लिया
ईपीसी मॉडल में इंजीनियरिंग, खरीद एवं निर्माण गतिविधियां संचालित की जाती हैं। अब रेलवे स्टेशनों के लिए यही मॉडल अपनाया जा रहा है। सूत्र ने कहा कि रेल मंत्रालय को अब ट्रेनों, मालगोदाम, पर्वतीय रेल, स्टेडियम, रेलवे कॉलोनी एवं रेलवे के पास मौजूद जमीन के मौद्रीकरण में तेजी लाने को कहा गया है।

रेल मंत्रालय ने सार्वजनिक एवं निजी भागीदारी (पीपीपी) के जरिये रेलवे स्टेशनों का मौद्रीकरण करने का प्रस्ताव वापस ले लिया है और अब इन परियोजनाओं का क्रियान्वयन इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (ईपीसी) माध्यम से किया जा रहा है।

एक सूत्र ने पीटीआई-भाषा को इसकी जानकारी देते हुए कहा, ‘‘बड़ी परिसंपत्ति वाली श्रेणी (स्टेशनों) के बारे में प्रस्ताव वापस ले लिया गया है। पीपीपी मॉडल पर इन स्टेशनों के मौद्रीकरण के लिए लाए गए प्रस्ताव की जगह अब इन परियोजनाओं को ईपीसी मॉडल पर क्रियान्वित किया जा रहा है।’’

 

ईपीसी मॉडल में इंजीनियरिंग, खरीद एवं निर्माण गतिविधियां संचालित की जाती हैं। अब रेलवे स्टेशनों के लिए यही मॉडल अपनाया जा रहा है। सूत्र ने कहा कि रेल मंत्रालय को अब ट्रेनों, मालगोदाम, पर्वतीय रेल, स्टेडियम, रेलवे कॉलोनी एवं रेलवे के पास मौजूद जमीन के मौद्रीकरण में तेजी लाने को कहा गया है।

दरअसल राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) के तहत रेलवे चालू वित्त वर्ष में अभी तक सिर्फ 1,829 करोड़ रुपये ही जुटा पाया है जबकि लक्ष्य 30,000 करोड़ रुपये रखा गया था। सूत्र ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में रेल परिसंपत्तियों के मौद्रीकरण से 4,999 करोड़ रुपये ही जुट पाने का अनुमान है।

 

रेलवे स्टेशनों का पीपीपी मॉडल से मौद्रीकरण किए जाने का प्रस्ताव वापस लिए जाने के बारे में टिप्पणी के लिए रेल मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गत 14 नवंबर को नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) परमेश्वरन अय्यर के साथ एक बैठक में एनएमपी योजना की प्रगति का जायजा लिया था।

सीतारमण ने अगस्त, 2021 में विभिन्न ढांचागत क्षेत्रों की परिसंपत्तियों के मौद्रीकरण से चार साल में छह लाख करोड़ रुपये जुटाने की एनएमपी योजना पेश की थी। इस बारे में नीति आयोग ने ढांचागत क्षेत्रों वाले मंत्रालयों के साथ मिलकर एक रिपोर्ट भी बनाई थी।

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