अदालतों में लंबी छुट्टियों के खिलाफ PIL, बॉम्बे हाईकोर्ट दिवाली अवकाश के बाद करेगी सुनवाई
अदालतों में लंबी छुट्टियों के खिलाफ PIL, बॉम्बे हाईकोर्ट दिवाली अवकाश के बाद करेगी सुनवाई
पीआईएल में कहा गया है कि कोर्टों में लंबे अवकाश की परंपरा के कारण केस दायर करने व उनकी सुनवाई प्रभावित होती है। गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने याचिका पर संज्ञान लेते हुए कहा कि वह इस पर दीपावली अवकाश के बाद ही विचार करेगी।

अदालतों में लंबी छुट्टियों के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है। इस पर सुनवाई दिवाली अवकाश के बाद होगी। 

 

पीआईएल में कहा गया है कि कोर्टों में लंबे अवकाश की परंपरा के कारण केस दायर करने व उनकी सुनवाई प्रभावित होती है। गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने याचिका पर संज्ञान लेते हुए कहा कि वह इस पर दीपावली अवकाश के बाद ही विचार करेगी। बॉम्बे हाईकोर्ट में 22 अक्तूबर से 8 नवंबर तक दिवाली अवकाश है। यह पीआईएल सबीना लकड़ावाला ने दायर की है। 

याचिका में दावा किया गया है कि हाईकोर्ट द्वारा ली जाने वाली लंबी छुट्टियों से वादियों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है, जो न्याय पाना चाहते हैं। लकड़ावाला के वकील मैथ्यूज नेदुमपारा ने कहा कि याचिकाकर्ता जजों द्वारा छुट्टियां लिए जाने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन न्यायपालिका के सदस्यों को एक साथ छुट्टी नहीं लेनी चाहिए, ताकि अदालतें पूरे साल काम करती रहें।

 नेदुमपारा ने गुरुवार को जस्टिस एस वी गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति आर एन लड्ढा की खंडपीठ के समक्ष इस याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए अर्जी का उल्लेख किया। इस पर पीठ ने वकील से पूछा कि जनहित याचिका अब क्यों दायर की गई जब 2022 के लिए हाईकोर्ट का कैलेंडर पिछले साल नवंबर में ही जारी कर दिया गया था? इसके बाद पीठ ने कहा कि वह 15 नवंबर को इस याचिका की सुनवाई करेगी। 

 

बता दें, हाईकोर्ट में हर साल तीन लंबी छुट्टियां होती हैं। ये हैं- गर्मी की छुट्टी (एक महीने), दिवाली की छुट्टी (दो सप्ताह) और क्रिसमस की छुट्टी (एक सप्ताह)। छुट्टियों के दौरान हाईकोर्ट में तत्काल न्यायिक कार्य के लिए विशेष अवकाशकालीन पीठ  उपलब्ध रहती है। लकड़ावाला ने अपनी याचिका में कहा कि लंबी अदालती छुट्टियां अंग्रेज राज की अवशेष हैं और इससे न्याय वितरण प्रणाली का पतन हुआ है। 

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