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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने गुरुवार को कहा कि हाल में जारी किए गए डिजिटल ऋण से जुड़े नियम मध्यस्थता खत्म करने और ग्राहकों की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं। राव ने उद्योग निकाय एसोचैम की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि तीसरे पक्ष की बेलगाम भागीदारी, भ्रामक बिक्री, डेटा गोपनीयता का उल्लंघन, अनैतिक वसूली प्रथाओं और अत्यधिक ब्याज दरों के कारण आरबीआई ने डिजिटल लोन से जुड़े नियम बनाए हैं।
केंद्रीय बैंक ने व्यापक परामर्श के बाद 10 अगस्त को डिजिटल लोन से जुड़े नियम जारी किए हैं और इसे इंडस्ट्री क इस साल नवंबर तक इसे लागू करने के लिए कहा है। हालांकि इन नियमों के जारी होने के बाद फिनटेक उद्योग की कुछ कंपनियों ने चिंता जताई है कि इससे उनके कामकाज प्रभावित होंगे।
राव ने कहा, 'डिजिटल कर ढांचे को एक अभिनव और समावेशी प्रणाली की जरूरत के बीच संतुलन बनाने के लिए तैयार किया गया है। साथ ही इसमें सुनिश्चित किया गया है कि ग्राहकों के हित सुरक्षित रहें।' उन्होंने कहा कि ये मानदंड पूरी तरह से उन विनियमित संस्थाओं के लिए हैं, जो एप के जरिए उधार देते हैं। उन्होंने कहा कि इन संस्थाओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऋण सेवा प्रदाता और डिजिटल ऋण के एप नियामक दायरे के भीतर रहकर काम करें।
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