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भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने रेपो रेट को 50 बेसिस प्वाइंट तक बढ़ाने का फैसला लिया है। आरबीआई (RBI) के इस फैसले के बाद अब रेपो रेट की दर 4.9% से बढ़कर 5.40% हो गई है। केंन्द्रीय बैंक (Central Bank) की ओर से कहा गया है कि फैसला वर्तमान प्रभाव से ही लागू होगा। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikant Das) ने इस फैसले की जानकारी दी है। इससे पहले बीते तीन अगस्त से इस मामले पर आरबीआई की समिति इस मसले पर मंथन कर रही थी।
आरबीआई गवर्नर ने तीन दिनों (तीन अगस्त से पांच अगस्त) तक चली एमपीसी (Monetary Policy Committee) की बैठक के बाद इस फैसले का एलान किया है। अंदेशा जताया जा रहा था कि आरबीआई अपनी इस बैठक में रेपो रेट को एक बार फिर बढ़ा सकता है। बता दें कि पिछली बार हुई एमपीसी की बैठक में रेपो रेट बढ़ाने का फैसला लिया गया था। मई महीने में हुई एमपीसी की बैठक में रेपो रेट को 50 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 4.90% कर दिया गया था।
केंद्रीय बैंक के इस फैसले की जानकारी देते हुए गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था स्वाभाविक रूप से वैश्विक आर्थिक स्थिति से प्रभावित हुई है। हम उच्च मुद्रास्फीति की समस्या से जूझ रहे हैं। हमने वर्तमान वित्तीय वर्ष के दौरान 3 अगस्त तक 13.3 अरब अमेरिकी डॉलर के बड़े पोर्टफोलियो का प्रवाह देखा है।
उन्होंने कहा, 'RBI ने तत्काल प्रभाव से रेपो रेट 50 BPS बढ़ाकर 5.4% कर दिया है। 2022-23 के लिए रियल GDP विकास अनुमान 7.2% है जिसमें Q1- 16.2%, Q2- 6.2%, Q3 -4.1% और Q4- 4% व्यापक रूप से संतुलित जोखिमों के साथ होगा। 2023-24 के पहले तिमाही (Q1) में रियल GDP वृद्धि 6.7% अनुमानित है। आरबीआई गवर्नर बोले, '2022-23 में मुद्रास्फीति 6.7% रहने का अनुमान है। 2023-24 के पहले तिमाही के लिए CPI मुद्रास्फीति 5% अनुमानित है।
महंगाई दर 7.1% से अधिक
बता दें कि जून के महीने में महंगाई की दर 7.01% रही। लगातार छठी बार महंगाई की दर आरबीआई की तय सीमा छह फीसदी से अधिक रही है। इससे पहले मई महीने में खुदरा महंगाई दर 7.04 थी। वहीं दूसरी ओर केंद्रीय बैंक आरबीआई ने साल 2022-23 के लिए महंगाई दर के अनुमान को भी 5.7 फीसदी से बढ़ाकर 6.7 फीसदी कर दिया है।
कैसे काम करता है रेपो रेट?
भारतीय रिजर्व बैंक बाजार में मुद्रा के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट का इस्तेमाल करता है। जब बाजार महंगाई की गिरफ्त में होती है तब आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है। बढ़ी हुई रेपो रेट का मतलब होता है कि जो बैंक आरबीआई से पैसे लेंगे उन्हेंं वह पैसा बढ़ी हुई ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जाएगा।
रेपो रेट बढ़ने से महंगे होंगे लोन ईएमआई
ऐसे में ब्याज दर बढ़ने से बैंक आरबीआई से कम पैसा लेंगे और बाजार में मुद्रा के प्रवाह नियंत्रण बना रहेगा। बैंक महंगे दर पर आरबीआई से लोन लेंगे तो वे महंगे दर पर आम लोगों को भी लोन जारी करेंगे। इससे आम आदमी का ईएमआई महंगा होगा। इसे देखते हुए लोग लोन कम लेंगे और कम खर्च करेंगे। इससे बाजार में मांग घटेगी और पूरी प्रक्रिया से महंगाई को नियंत्रित करने से मदद मिलेगी।
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