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अक्तूबर में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर तीन महीने के निचले स्तर 6.77 प्रतिशत पर आ गई है। यह सितंबर महीने में पांच महीने के उच्चतम स्तर 7.41 प्रतिशत से कम है। सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार खुदरा महंगाई दर में आई यह गिरावट खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी के कारण है। हालांकि गिरावट के बावजूद अक्तूबर महीने में भी खुदरा महंगाई दर दो से छह प्रतिशत के बीच के आरबीआई के टारगेट बैंड से ऊपर है। इस वर्ष के हर महीने महंगाई दर इस बैंड के ऊपर रही है।
भारत का केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक मुख्य रूप से मौद्रिक नीति तैयार करने के लिए खुदरा मुद्रास्फीति महंगाई दर को आधार मातना है। ऐसे में कीमतों का नरम पड़ना आरबीआई के लिए एक सकारात्मक संकेत है। बीते कुछ समय से आरबीआई उच्च मुद्रास्फीति से लड़ते हुए अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने की कोशिश कर रहा है।
आरबीआई ने इस साल अपनी प्रमुख ब्याज दर को चार बार बढ़ाकर 5.90 प्रतिशत कर दिया है- जो अप्रैल 2019 के बाद सबसे अधिक है। यह कम कीमत शनिवार को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के आकलन के अनुरूप है, उन्होंने अनुमान जताया था कि खुदरा मुद्रास्फीति अक्तूबर महीने में सितंबर की दर 7.41 प्रतिशत से घटकर सात प्रतिशत नीचे आ सकती है।
नई दिल्ली एक कार्यक्रम में बोलते हुए आरबीआई गवर्नर ने कहा था कि मुद्रास्फीति भारत के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है। उन्होंने कहा था कि केंद्रीय बैंक और सरकार ने बीते महीनों में इससे प्रभावी ढंग से निपटने केलिए कई कदम उठाए हैं।
महंगाई दर में गिरावट के बावजूद आरबीआई 2016 में लागू लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे (2-6%) के तहत मूल्य वृद्धि का प्रबंधन करने में विफल रहा है। सीपीआई-आधारित मुद्रास्फीति लगातार तीन तिमाहियों से 2-6 प्रतिशत की सीमा से ऊपर बनी हुई है।
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